सन्त कबीर नगर (मेहदावल)- योजनाओं के शत - प्रतिशत क्रियान्वयन के मूल उद्देश्य में बतौर पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही मे होने वाले सोशल आडिट की विश्वसनीयता मुश्किलों में घिरती हुई नजर आ रही है । सोशल आडिट टीम द्वारा कई परियोजनाओं का भौतिक सत्यापन किए बिना ही सोशल आडिट को बड़े इत्मीनान के साथ संपन्न किया जा रहा है ।
उल्लेखनीय है कि प्रखण्ड मेहदावल के ग्राम पंचायत पचनेउरी मे 34 लाख 45 हजार 63 रूपये की व्यय राशि मे 45/48 परियोजनाओं की सम्पन्न हुई सोशल आडिट में मनरेगा योजना के तहत हुए व्यास के मकान से रामाकांत पाण्डेय के खेत तक , प्रेमचन्द के मकान से कोमल के मकान तक एवं कोमल भुज के मकान से सीताराम के मकान तक कराये गये इण्टरलॉकिंग का मानक के अनुरूप न तो कोई जानकारी दी जा सकी और न ही उसके लम्बाई × चौड़ाई की जानकारी दी जा सकी । जिससे यह स्पष्ट होता है कि सोशल आडिट के नियमानुसार भौतिक सत्यापन नही किया गया । इस लिहाज से देखा जाय तो कदाचित को छोड़ अन्य परियोजनाओ का भी भौतिक सत्यापन नही किया गया होगा !
एक घंटे मे संपन्न होने वाले सोशल आडिट मे कुल 45 एवं 48 परियोजनाओं के खींचातानी मे 5 आवास ,10 सोख्ता , 14 मेढबंध , 3 इण्टरलॉकिंग , 2 पक्का नाली , 2 नाला खुदाई , 4 पोखरा , 1 प्राथमिक विद्यालय का बाउड्रीवाल , 4 चकरोड , 1 विद्यालय परिसर मे मिट्टी पटाई कार्य, 3 वृक्षारोपण , 1 सामुदायिक शौचालय सहित सक्रिय 200 श्रमिकों के 10394 मानव दिवस का सामाजिक अंकेक्षण का आयोजन सम्भव कैसे हो सकता है ? जब सोशल आडिट के मूल उद्देश्य पारदर्शिता , सहभागिता एवं जवाबदेही के क्रम में परियोजनाओं सहित 200 श्रमिकों का सत्यापन किया जाना होता है । वही टीए व सचिव द्वारा जहां जिम्मेदारी की नगण्यता को तरजीह दिया गया ,तो नियुक्त पर्यवेक्षक द्वारा भी अपनी जिम्मेदारी को दिन के तारे दिखाते हुए आडिट का कही न कही माखौल उड़ाया गया ।
ऐसे मे अब देखना यह है कि सक्षम अधिकारियों द्वारा क्या किया जाता है ? सोशल आडिट के मूल उद्देश्य मे परियोजनाओ के शत - प्रतिशत क्रियान्वयन मे सोशल आडिट को बल दिया जाता है या फिर भ्रष्टाचार जैसे कृत्य को छुपाने के क्रम मे सोशल आडिट टीम द्वारा की गई बेपरवाही की आडिट की तरह उदासीनता का रुख अख्तियार किया जाता है ।