धर्मगुरुओं ने गले मिल बांटा प्यार, तो गुलजार हो उठा रोज़ा इफ़्तार


संत कबीर नगर - मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना उक्त कहावत एक बार फिर से चरितार्थ साबित हुआ जब "लजीज पकवान, भाईचारगी की खुशबू और रमजान की पाकीज़गी तथा चारों ओर अपनापन, न कहीं कोई गिला और न कहीं कोई शिकवा" यह अलौकिक दृश्य उस वक्त देखने को मिला जब कबीर चौरा मठ के महंत विचार दास के निवेदन पर रिलैक्सो डोमेस्वेयर कंपनी के निदेशक अब्दुल्ला खान के नेतृत्व में मगहर स्थित कबीर चौरा मठ पर सर्वधर्म रोज़ा इफ़्तार मिलन कार्यक्रम में यह दुर्लभ दृश्य देखने को मिला ‌। जिसमें अनेकों धर्म के धर्म गुरुओं ने हिस्सा लिया तथा एक ही मंच को साझा करते हुए अपने-अपने विचार व्यक्त किए । बताते चले कि सभी धर्म गुरुओं के विचार से जो निचोड़ निकलकर सामने आया वो था आपसी प्रेम भाईचारा तथा मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म होता है ।


इस दौरान  महंत विचार दास ने बताया कि राष्ट्रीय सदभावना को बढ़ाने तथा एक दूसरे को जानने-समझने के उद्देश्य के साथ-साथ सभी धर्म के लोगों में कैसे सद्भावना बढ़े जिससे लोग आपस में मिलजुल कर शांतिपूर्वक रहे । तत्पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रिलैक्सो डोमेस्वेयर कंपनी के निदेशक अब्दुल्ला खान ने कहा कि

"पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय, ढाई आखर प्रेम का, पढ़ें सो पंडित होय" उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहां पर सभी धर्म के लोग एक साथ मिल-जुलकर रहते हैं । उन्होंने कहा कि इस्लाम में जो रोज़ा इफ़्तार है उसके बारे में लोग क्या कल्पना करते हैं जिसके उद्देश्य से सर्वधर्म रोज़ा इफ्तार मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमें सभी धर्म के धर्मगुरुओं को बुलाया गया ।


सभी लोगों ने अपने-अपने धर्मो की विशेषताओं के बारे में विधिवत चर्चा किए । उन्होंने कहा कि जब सभी धर्म के धर्म गुरु आपस में एक दूसरे से गले मिल रहे हैं तो हम लोग एक दूसरे से क्यों लड़े । हम सभी आपस में मिलजुल कर रहे तथा किसी के बहकावे में न आए क्योंकि मानव सेवा से बड़ा कोई सेवा नहीं है ।


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